जयतु संस्कृतम्!

भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती।

तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥ 

[ bhāṣāsu mukhyā madhurā divyā gīrvāṇabhāratī |

tasyāṁ hi kāvyaṁ madhuraṁ tasmādapi subhāṣitam || ]

अर्थ- भाषाओं में सर्वाधिक मधुर भाषा गीर्वाणभारती अर्थात देवभाषा (संस्कृत) है, संस्कृत 

साहित्य में सर्वाधिक मधुर काव्य हैं और काव्यों में सर्वाधिक मधुर सुभाषित हैं.

[ Meaning : Of all languages, Sanskrit (gīrvāṇabhāratī) is the most 

important, sweet and divine. Her literary works are sweet, more 

so, the subhāṣitās! ]

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